सुबह सोच -प्रथम  सम्पादकीय

सुबह सोच -प्रथम सम्पादकीय

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6th April 2025 "सुबह सोच" टीम की और से आप सभी को नमस्कार और अभिवादन ! "सुबह सोच" आपके लिए मनोरंजन और जानकारियों के ऐसे स्त्रोत के रूप में हमने सामने लाने का प्रयास किया है कि परिवार के समस्त सदस्यों को इसमें रूचि आये और लाभ मिले। भारतीय समाज लगातार बदलाव के दौर से गुज़रा है और गुज़र रहा है। आज भारतीय समाज का जो स्वरुप है वह ऐसा क्यों है यह समझने के लिए आइये पहले हम पाने इतिहास की झलक फिर एक बार देखें और समझें कि किन परिवर्तनों से हमारा देश और समाज गुज़रा और अब क्यों हम ऐसे हैं , क्यों हाम्रा वर्तमान ढांचा ऐसा बन गया है ! भारत एक देश के रूप में अपने गौरवशाली इतिहास के बावज़ूद ईस्वीं सन 712 के मुहम्मद बिन कासिम के हमले के बाद से और उसके बाद महमूद गजनवी के ईस्वीं सन 1000 से 1027 के बीच के कुख्यात 17 हमलों के बाद से लगातार बदलता रहा है , इसके शासक बदले, इसके आक्रांता बदले इसके राज बदले, छोटी छोटी रियासतों में बंटा भारत किसी काल में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य होता था, विश्वास नहीं होता और ततपश्चात उनके पोते सम्राट अशोक ने इसे और भी विस्तार दिया शिक्षा, विज्ञान ,कला , ज्योतिषी ,चिकित्सा आदि में अग्रणी भारत कब अंग्रेजों का ग़ुलाम हो गया किसी को समझ नहीं आया ! अंग्रेजों को पूरे भारत में कब्ज़ा जमाने में कोई 150 साल लगे, व्यापार करने आये हुए लोग शासक बन बैठे ! ईस्वीं 1027 से भी अगर जोड़ा जाए तो 1947 यानी पूरे 1020 वर्षों तक भारत एक देश के रूप में परतंत्र रहा। 1947 की आज़ादी की भी जो कीमत देश ने,इसकी जनता ने चुकाई, विभाजन की वह पीड़ा किसी युद्ध की विभीषिका से कम नहीं ! जब एक देश क तौर पर हम इतने आहत होते हैं तो एक समाज के तौर पर इससे अधिक आहत होते ही हैं , अपने हों या आक्रांता जब कोई देश इतनी हिंसा ,युद्ध ,कब्ज़े और ग़ुलामी के दौर से गुज़रता है तो एक समाज अपने आप नष्ट होता है ,सामजिक अवमूल्यन होता है , रिश्ते नाते , ईमानदारी सब कुछ नष्ट होते हैं । व्यापार व्यवसाय जो इतना सुदृढ़ था कि सोने की चिड़िया कहलाते थे हम और इसी सोने की चिड़िया ने लुटेरों को आक्रमण के लिए उत्साहित किया , जिन हमलों की चर्चा ऊपर हुई वे उसी का हिस्सा थे. अंग्रेज और फ्रेंच भी इसी नीयत से आये और अंग्रेज अंततः काबिज हो गए इन सबके बीच धर्म का क्या होता है ? और क्या हुआ धर्म का ? धर्म इन सबके बीच सुरक्षित रहा क्योंकि हिंदुत्व एक सहिष्णु धर्म है , एक विराट धर्म है , एक जीवन शैली है इसलिए धार्मिक और धर्मांध शासकों के बावज़ूद यहाँ पर हिन्दू धर्म दृढ़ता से खड़ा रहा , बहुत लोग धर्म परिवर्तित हुए , यह एक बेबाक सत्य है लेकिन उसके बावज़ूद अधिसंख्य लोग अपने मूल धर्म हिन्दू धर्म से जुड़े रहे उसका पालन करते रहे। हिन्दू धर्म का स्वरुप भी समय के साथ बदलता रहा , मध्य युग में इसमें आडम्बर और अंधविश्वासों ने जगह ली , जिस देश में गार्गी , मैत्रेयी , लोपामुद्रा और घोषा जैसी विदुषियां थीं वहां न जाने कब नारी को दासी बना दिया गया , न जाने कब उन्हें पतित बना दिया गया ! ऐसी करवटें लेता हुआ भारत देश और समाज 1947 में जब आज़ाद हुआ तो उसका एक बड़ा हिस्सा उससे अलग किया जा चूका था। भारतीय सभ्यता के इतिहास में पहली बार राजशाही की जगह जनतंत्र ने ली थी और आगे बहुत कुछ ऐसा हुआ जिससे एक देश और एक समाज के तौर पर हम नीचे गिरते चले गए न पहले जैसी व्यापार संरचना बची ,न कृषि , न छोटे व्यवसाय उतना पैसा दे पाते थे कि एक परिवार बहुत अच्छे से गुज़ारा कर ले , यहाँ से शुरू हुई असली आर्थिक असमानता ! आर्थिक असामनता आती है तब असंतोष भी आता है। समाज की बनावट में भारी बदलाव आते हैं। यहाँ भी आए ! और ये बदलाव साथ लाये अपराध, भूखमरी ,कालाबाज़ारी , भ्रष्टाचार !! भूखमरी , कालाबाज़ारी और भ्र्ष्टाचार भारत के लिए नए शब्द थे , लिए इन दानवों की वजह से बदल गया, पूरा समाज बदल गया और आज तक हम में वे बुराइयां हैं जो हमारे पुरखों ने कभी नहीं देखीं थीं , न सुनी थीं ! इस बदले हुए समाज में इसलिए बहुत सी कुचेष्टाएँ हैं , झूठ -फरेब , लालच अपने निकृष्टम स्तर पर हैं। राजनीति अजीबोगरीब दिशा ले चुकी है कुछ अच्छे बदलाव आये हैं ,कुछ बहुत ख़राब और अस्वीकार्य बदलाव हैं। ऐसे में "सुबह सोच " आपके बच्चों ,को युवाओं को, अधेड़ों को, बुजुर्गों को जीवन दर्शन, जीवन प्रबंधन यानी जीवन जीने के तरीके ,राजनीति, व्यापार ,व्यवसाय , नियम कायदे , अंतराष्ट्रीय मामले , तकनीकी , मोबाइल और कंप्यूटर सहित सिनेमा,खेल और संगीत आलेखों से लगातार न सिर्फ मनोरंजित करने का प्रयत्न करेगा बल्कि आपके ज्ञान और विवेक वर्धन में मददगार बनेगा। हमारी यह चेष्टा सदैव रहेगी कि तथ्यपरक और पूर्ण पेशेवर विश्लेषण/व्याख्याओं (factual and professional Analysis/Interpretation) से आपको नवीनतम जानकारी मिले ! लोग घर बैठे समझ पाएं की देश दुनिया में क्या हो रहा है.और युवा और बच्चे समझ पाएं कि अपने जीवन कैसे गढ़ना है !यही हमारा ध्येय है !! एक बार पुनः आपकी शुभेच्छाओं के आकांक्षी ! आइये चलते हैं इस दौर में उस युग की अच्छाइयों की तरफ़ “सुबह सोच” के साथ !!

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